मंगलवार, 20 दिसंबर 2016

11 आक्रमण जिन्होंने बदल दिया अखंड भारत का नक्शा

प्राचीन जम्बूद्वीप से लेकर आज का हिन्दुस्तान संपूर्ण क्षेत्र पहले हिन्दुओं का स्थान था। जहां तक प्राचीन भारतवर्ष का संबंध है तो इसकी सीमाएं हिन्दुकुश से लेकर अरुणाचल, कश्मीर से कन्याकुमारी तक और एक ओर  एक ओर जहां पूर्व में अरुणाचल से लेकर इंडोनेशिया तक और पश्चिम में हिन्दुकुश से लेकर अरब की खाड़ी तक फैली थीं। लेकिन समय और संघर्ष के चलते अब भारत 'इंडिया' बन गया है। कैसे और क्यों? यह बड़ा सवाल है।  



भारत के 13 बड़े संग्राम, जिनसे बदल गया हिन्दुस्थान  
Number 1 ----
ऐसा माना जाता है कि प्राचीनकाल में देवता और असुरों के बीच युद्ध होता था। एक और जहां देवताओं की राजधानी को इंद्रलोक कहा जाता था तो दूसरी ओर असुरों की राजधानी पाताल में थी। हिमालय के किसी क्षेत्र में  इंद्रलोक हुआ करता था। हर कोई इंद्र पद पर बैठना चाहता था। संपूर्ण भारतवर्ष पर देव संस्कृति का ही शासन था। देवता और असुरों में 12 बार संपूर्ण धरती पर शासन को लेकर युद्ध हुआ जिसे देवासुर संग्राम कहा जाता  है। इंद्र एक पद था, किसी देवता का नाम नहीं। द्वापर युग तक इतने देव इंद्र पद पर बैठ चुके हैं- यज्न, विपस्चित, शीबि, विधु, मनोजव, पुरंदर, बाली,   अद्भुत, शांति, विश, रितुधाम, देवास्पति और सुचि। हालांकि देवताओं के अधिपति को हराने वाले बहुत हुए हैं जैसे मेघनाद, रावण आदि। देवासुर संग्रामों का परिणाम यह रहा कि असुरों और सुरों ने धरती पर भिन्न-भिन्न  संस्कृतियों और धर्मों को जन्म दिया और धरती को आपस में बांट लिया। इन संघर्षों में देवता हमेशा कमजोर ही सिद्ध हुए और असुर ताकतवर।  

इस दौर में हैहय-परशुराम के बीच युद्ध की चर्चा मिलती है। इसके बाद राम-रावण युद्ध हुआ। राम के जन्म को हुए 7,129 वर्ष हो चुके हैं। राम का जन्म   5,114 ईस्वी पूर्व हुआ था। राम और रावण का युद्ध 5076 ईसा पूर्व हुआ था यानी आज से 7090 वर्ष पूर्व। तब भगवान राम 38 वर्ष के थे। यह युद्ध   72 दिन चला था।  

राम-रावण युद्ध के बाद दसराज्य का युद्ध हुआ। इस युद्ध की चर्चा ऋग्वेद में मिलती है। यह रामायणकाल की बात है। दसराज्य युद्ध त्रेतायुग के अंत में   लड़ा गया। माना जाता है कि राम-रावण युद्ध के 150 वर्ष बाद यह युद्ध हुआ था। ऋग्वेद के 7वें मंडल में इस युद्ध का वर्णन मिलता है।  

दसराज्य युद्ध के बाद सबसे बड़ा युद्ध हुआ महाभारत युद्ध। कुरुक्षेत्र में पांडवों और कौरवों के बीच आज से 5000 वर्ष पूर्व महाभारत युद्ध हुआ था।   18 दिन तक चले इस युद्ध में भगवान कृष्ण ने गीता का उपदेश अर्जुन को दिया था। कृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व (अर्थात आज से 5121 वर्ष पूर्व)   हुआ। महाभारत का युद्ध 22 नवंबर 3067 ईसा पूर्व को हुआ था। उस वक्त भगवान कृष्ण 55-56 वर्ष के थे।  इस युद्ध का सबसे भयानक परिणाम हुआ। धर्म और संस्कृति का लगभग नाश हो गया। लाखों लोग मारे गए, उसी तरह लाखों महिलाएं विधवाएं हो गईं   और उतने ही अनाथ। बस यहीं से भारत की दशा और दिशा बदल गई। इस युद्ध के बाद अखंड भारत बिखरने लगा... नए धर्म और संस्कृतियों का   जन्म होने लगा और धीरे-धीरे सब कुछ बदल गया। आओ जानते हैं ऐसे 10 युद्ध जिन्होंने अखंड भारत के नक्शे को बदलना शुरू कर दिया। भारत का भाग्य यहीं से बदलने लगा  । 

चंद्रगुप्त-धनानंद युद्ध : चाणक्य के शिष्य चंद्रगुप्त मौर्य (322 से 298 ईपू तक) का धनानंद से जो युद्ध हुआ था उसने देश का इतिहास बदलकर रख   दिया। प्राचीन भारत के 18 जनपदों में से एक था महाजनपद- मगध। मगध का राजा था धनानंद। इस युद्ध के बारे में सभी जानते हैं। चंद्रगुप्त ने उसके   शासन को उखाड़ फेंका और मौर्य वंश की स्थाप‍ना की।  

सम्राट अशोक-कलिंग युद्ध (261 ईसा पूर्व): चंद्रगुप्त मौर्य के काल में फिर से भारतवर्ष एक सूत्र में बंधा और इस काल में भारत ने हर क्षेत्र में प्रगति   की। सम्राट अशोक (ईसा पूर्व 269-232) प्राचीन भारत के मौर्य सम्राट बिंदुसार का पुत्र और चंद्रगुप्त का पौत्र था जिसका जन्म लगभग 304 ई. पूर्व में   माना जाता है। भाइयों के साथ गृहयुद्ध के बाद अशोक को राजगद्दी मिली।  

उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से 5 किलोमीटर दूर कलिंग युद्ध में हुए नरसंहार तथा विजित देश की जनता के कष्ट से अशोक की अंतरात्मा को तीव्र   आघात पहुंचा। 260 ईपू में अशोक ने कलिंगवासियों पर आक्रमण किया तथा उन्हें पूरी तरह कुचलकर रख दिया। युद्ध की विनाशलीला ने सम्राट को   शोकाकुल बना दिया और वे प्रायश्चित करने के प्रयत्न में बौद्ध धर्म अपनाकर भिक्षु बन गए। अशोक के भिक्षु बन जाने के बाद भारत के पतन की   शुरुआत हुई और भारत फिर से धीरे-धीरे कई जनपदों और राज्यों में बंट गया।  

मौर्य वं↺↺↺श के पतन के बाद दीर्घकाल तक भारत में राजनीतिक एकता स्थापित नहीं रही। कुषाण एवं सातवाहनों ने राजनीतिक एकता लाने का प्रयास   किया। मौर्योत्तर काल के उपरांत तीसरी शताब्दी ई. में तीन राजवंशों का उदय हुआ जिसमें मध्यभारत में नाग शक्‍ति, दक्षिण में बाकाटक तथा पूर्वी में   गुप्त वंश प्रमुख हैं। इन सभी में गुप्तकाल को भारत का स्वर्णकाल माना जाता है। गुप्तों ने अच्छे से शासन किया और भारत को बाहरी आक्रमण से   बचाए रखा। 
  

हर्षवर्धन (606 ई.-647 ई.) : इसके बाद अंत में एक महान राजा हुए हर्षवर्धन जिसने भारत के एक बहुत बड़े भू-भाग कर राज किया। उसी दौर में   अरब में ह. मुहम्मद ने एक नए धर्म की स्थापना कर दी थी। हर्षवर्धन ने भारत को विदेशी आक्रमणकारियों से बचाए रखा। हर्ष ने लगभग 41 वर्ष   शासन किया।   

उपरोक्त और निम्नांकित लेख सामग्री इतिहास की पुस्तकों और अन्य कई स्रोतों से हासिल की गई है।  

Number 2 -----

फारसी तथा यूनानियों का आक्रमण : भारत की उत्तर-पश्‍चिमी सीमा पर स्‍थित भारतीय राज्यों को फारस और यूनानी से हमेशा आक्रमण का खतरा बना रहता था। पहले यहां कंबोज, कैकेय, गांधार नामक छोटे-बड़े राज्य थे। भारत  की उत्तर-पश्‍चिम सीमा की बात करें तो संपूर्ण    अफगानिस्तान और ईरान के समुद्रवर्ती कुछ हिस्से थे। यहां हिन्दूकुश नाम का एक पहाड़ी क्षेत्र है जिसके उस पार कजाकिस्तान, रूस और  चीन जाया जा सकता है। ईसा के 700 साल पूर्व तक यह स्थान आर्यों का था। ईसा पूर्व 700 साल पहले तक इसके उत्तरी क्षेत्र में गांधार   महाजनपद था जिसके बारे में भारतीय स्रोत महाभारत तथा अन्य ग्रंथों में वर्णन मिलता है। महाभारत में कंबोज और गांधार के कई राजाओं   का उल्लेख मिलता है। जिनमें कंबोज के सुदर्शन और चंद्रवर्मन मुख्य हैं।
   
अफगानिस्तान पहले था हिन्दू राष्ट्र




घुसपैठ : उक्त सीमावर्ती राज्यों में व्यापार के माध्यम से कई फारसी और यूनानियों ने अपने अड्डे बना लिए थे, दूसरी ओर अरबों ने भी समुद्री तटवर्ती   क्षेत्र में अपने व्यापारिक ठिकाने बनाकर अपने लोगों की संख्या बढ़ा ली थी। अफगानिस्तान में पहले आर्यों के कबीले आबाद थे और वे सभी वैदिक   धर्म का पालन करते थे, फिर बौद्ध धर्म के प्रचार के बाद यह स्थान बौद्धों का गढ़ बन गया। बामियान बौद्धों की राजधानी थी।

सिकंदर का आक्रमण : सिकंदर का जब आक्रमण (328 ईसा) हुआ, तब यहां फारस के हखामनी शाहों ने कब्जा कर रखा था। ईरान के पार्थियन   तथा भारतीय शकों के बीच बंटने के बाद अफगानिस्तान के आज के भू-भाग पर बाद में सासानी शासन आया। इस तरह हखामनी ईरानी वंश के लोगों   से सबसे पहले भारत पर आक्रमण किया। हालांकि यह आर्यों के ही वंशज थे।
 
सिकंदर और पोरस युद्ध (326 ईसा पूर्व) : भारत पर यूं तो छोटे-बड़े आक्रमण होते रहे लेकिन पहला बड़ा आक्रमण सिकंदर ने किया था। सिकंदर और पोरस के बीच हुए युद्ध में पोरस की जीत हुई थी। सिकंदर ने भारत के पश्‍चिमी छोर पर बसे पोरस के राज्य पर आक्रमण किया था। पोरस के राज्य के आसपास दो छोटे-छोटे राज्य थे- तक्षशिला और अम्भिसार। तक्षशिला, जहां का राजा अम्भी था और अम्भिसार का राज्य कश्मीर के चारों ओर फैला हुआ था। अम्भी का पुरु से पुराना बैर था इसलिए उसने सिकंदर से हाथ मिला लिया। अम्भिसार ने तटस्थ रहकर सिकंदर की राह आसान   कर दी। दूसरी ओर धनानंद का राज्य था वह भी तटस्थ था। ऐसे में पोरस को अकेले ही लड़ना पड़ा।


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सोमवार, 7 नवंबर 2016

नगर निगम की मीटिंग में पॉर्न देख रहे थे अफसर साब!


मानते हैं कि ये पान और पॉर्न के शौकीनों का देश है. लेकिन ये क्या कि जहां मन किया, वहीं चालू हो गए. भोपाल में नगर निगम की मीटिंग थी. रेवेन्यू बढ़ाने के तरीके पर चर्चा हो रही थी. एक अफसर को चर्चा बोरिंग लगी होगी, उन्होंने निकाला मोबाइल और पॉर्न देखने लगे.
कैमरे का जमाना है आजकल. तो जनाब पॉर्न देखते हुए कैमरे में कैद हो गए. वीडियो मार्केट में आ गया तो भोपाल प्रशासन की फूंक सरक गई. बंदे का नाम अनिल शर्मा है. जोन-10 के जोनल ऑफिसर हैं जनाब. उन्हें नोटिस भेजकर सस्पेंड कर दिया गया है.
ये मीटिंग 18 जनवरी को हुई थी. मीटिंग की कार्यवाही की रिकॉर्डिंग देखने के बाद ये हरकत पकड़ में आई. मामले की जांच के आदेश भी दिए गए हैं. लेकिन शर्मा जी का कहना है कि वो मोबाइल पर पॉर्न थोड़े ना देख रहे थे. उनके फोन पर अचानक एक विज्ञापन आ गया था. लेकिन मोबाइल नया था. तो उसे बंद करना उन्हें नहीं आया.
खांसी आ गई ना आपको. मेरे कू भी आई थी. वो कह रहे हैं कि जिस वक्त वह विज्ञापन बंद करने की कोशिश कर रहे थे, उसी वक्त उनकी रिकॉर्डिंग कर ली गई. इससे ‘गल्त’ मैसेज गया है जी.
बैड टाइमिंग थी और क्या. वैसे ये फर्स्ट टाइम नहीं हुआ है. कर्नाटक असेंबली में बीजेपी सरकार के दो मंत्री 2012 में साथ-साथ पॉर्न देखते पकड़े गए थे. बीजापुर जिले में पाकिस्तान का झंडा फहरा दिया था किसी ने. इसी पर असेंबली में चर्चा चल रही थी. लेकिन दोनों मंत्रियों को कद्दू इससे मतलब था. वुमन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट मिनिस्टर सीसी पाटिल और को-ऑपरेशन मिनिस्टर लक्ष्मण सावदी अपना पॉर्न प्रेम दिखाते कैमरे में पकड़ा गए थे. 
                                           बड़ी बेइज्जती हुई थी भाई
 
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भोपाल सेंट्रल जेल का सच क्या है. अभी तक कुछ नहीं कहा जा सकता. लेकिन इतना साफ़ होता जा रहा है कि SIMI से जुड़े लोगों को भागने या भगाने में जरूर जेल में कोई मदद कर रहा था. जांच में ताले की नकली चाबी, नाली के पास चाकू और सीसीटीवी कैमरे का बंद मिलना, इस बात की गवाही हैं कि उन्हें जरूर मदद दी गई, तभी वो जेल तोड़कर भाग सके. इन तथ्यों पर ही सीनियर अफसर का शक गहरा गया है

अफसरों को शक है कि सिर्फ बदइंतज़ामी ही कैदियों के भागने की वजह नहीं है, बल्कि कोई तो था जो अंदरूनी मदद पहुंचा रहा था. एक सीनियर अफसर ने नाम न बताए जाने की शर्त पर इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जिस हद तक कैदियों की मदद की गई, वह हैरान कर देने वाली है.
मध्य प्रदेश के होम मिनिस्टर भूपेंद्र सिंह ने बताया कि अंदर की मिलीभगत के बिना ऐसा संभव ही नहीं हो सकता. जेल से भागने के लिए बाहर से फंडिंग भी की गई होगी. इसके लिए कम से कम दो या तीन महीने से प्लानिंग की जा रही होगी, क्योंकि डुप्लीकेट चाबी बनाने में इतना वक्त लग जाता है.
सीनियर अफसर ने बताया, जेल में करीब 50 सीसीटीवी कैमरा हैं, जिनमें से अधिकतर काम करते हैं. लेकिन ब्लॉक बी, जिसमें सिमी के संदिग्ध आतंकी थे. वहीं के तीनों सीसीटीवी का बंद हो जाना महज इत्तेफाक बिलकुल नहीं लगता. इन्हें जरूर बंद किया गया होगा. उन्होंने कहा कि इन तीनों ही कैमरे में सात दिन की मैमोरी खाली थी, जिसका सीधा सा मतलब है कि इन्हें लंबे समय से बंद किया हुआ था.
अफसर का कहना है कि सिमी मेंबर्स की लंबी प्लानिंग का ही नतीजा है कि टूथब्रश से उन्होंने हर ताले की चाबी तक बना ली थी. और ब्रश को चाबी के रूप में ढालने के लिए उन्हें किसी बाहर के शख्स ने चाबियों का ढांचा दिया होगा.
31 अक्टूबर को आठ अंडरट्रायल कैदी भोपाल की सेंट्रल जेल से भागे थे. पुलिस के मुताबिक कैदियों ने एक सिक्योरिटी गार्ड का मर्डर किया था. पुलिस का कहना था कि स्टील की प्लेट को पैना करके उन लोगों ने गार्ड मार डाला था. और फिर बेडशीट की मदद से जेल की दीवार कूदकर भाग गए थे. उन सभी लोगों पर मर्डर, देशद्रोह और दंगे करवाने के इल्जाम थे.
एक दूसरे अफसर ने बताया कि पिछले सोमवार सुबह हुई वारदात के बाद स्टेट गवर्नमेंट के कुछ सीनियर अफसर जेल पहुंचे थे. वहां उन्हें नाली के पास पड़ा हुआ एक चाकू मिला था. जो चाकू मिला, वो काफी बड़ा था. जो किसी भी कैदी को अंदर नहीं ले जाने दिया जाता है. रेगुलर चेकिंग होती है. बेडशीट को रस्सी की तरह बनाया गया और वो 50 फीट लंबी थी, जबकि जेल की दीवार 35 फीट ऊंची है. जेल से भागने के लिए उनके पास काफी सामान था. और काफी तैयारी की गई होगी.

आबिद मिर्जा से एटीएस को मिले अहम सबूत

साल 2013 में खंडवा जेल से भागने वालों में आबिद मिर्ज़ा भी शामिल था. वो बम कांड का आरोपी था. जेल ब्रेक से दो दिन पहले ही यानी 29 अक्टूबर को सेंट्रल जेल से छूटा था. एटीएस ने उससे 12 घंटे पूछताछ की. दैनिक भास्कर के मुताबिक आबिद मिर्ज़ा ने एटीएस को अहम जानकारियां दी. उसने बताया जेल से भागने से पहले एक नक्शा भी बनाया गया था. जिस पर पूरा प्लान तैयार किया गया कि किस तरह से बाहर निकलना है. सूत्रों के मुताबिक इस पर उन्होंने पेन और पेंसिल से उर्दू में लिखा था कि हम दीपावली पर घर आ रहे हैं. इस नक्शे पर बाकायदा पूरी जानकारी थी कि कहां-कहां से निकलेंगे और किस दीवार से बाहर जाएंगे. पुलिस को जेल से इस बारे में कागजात और नक्शा भी मिला है. जेल से भागने के लिए अलग-अलग 17 चाबियां बनाई गईं थीं.

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रविवार, 6 नवंबर 2016

बुलंद होसलों


मुसीबते हमारी ज़िंदगी की एक सच्चाई है। कोई इस बात को समझ लेता है तो कोई पूरी ज़िंदगी इसका रोना रोता है। ज़िंदगी के हर मोड़ पर हमारा सामना मुसीबतों(problems) से होता है. इसके बिना ज़िंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती।
अक्सर हमारे सामने मुसीबते आती है तो तो हम उनके सामने पस्त हो जाते है। उस समय हमे कुछ समझ नहीं आता की क्या सही है और क्या गलत। हर व्यक्ति का परिस्थितियो को देखने का नज़रिया अलग अलग होता है। कई बार हमारी ज़िंदगी मे मुसीबतों का पहाड़ टूट पढ़ता है। उस कठिन समय मे कुछ लोग टूट जाते है तो कुछ संभाल जाते है।
मनोविज्ञान के अनुसार इंसान किसी भी problem को दो तरीको से देखता है;
1 problem पर focus करके(problem focus peoples)
2 solution पर focus करके(solution focus peoples)
Problem focus peoples अक्सर मुसीबतों मे ढेर हो जाते है। इस तरीके के इंसान किसी भी मुसीबत मे उसके हल के बजाये उस मुसीबत के बारे मे ज्यादा सोचते है। वही दूसरी ओर solution focus peoples मुसीबतों मे उसके हल के बारे मे ज्यादा सोचते है। इस तरह के इंसान मुसीबतों का डट के सामना करते है।

दोस्तो आज मै आपके साथ एक महान solution focus इंसान की कहानी शेयर करने जा रहा हु जो आपको किसी भी मुसीबत से लड़ने के लिए प्रोत्साहित (motivate) करेगी। दोस्तो आपने नेपोलियन बोनापार्ट (napoleon Bonaparte) का नाम तो सुना ही होगा। जी हा वही नापोलियन बोनापार्ट जो फ़्रांस के एक महान निडर और साहसी शासक थे जिनके जीवन मे असंभव नाम का कोई शब्द नहीं था। इतिहास में नेपोलियन को विश्व के सबसे महान और अजय सेनापतियों में से एक गिना जाता है। वह इतिहास के सबसे महान विजेताओं में से माने जाते थे । उसके सामने कोई रुक नहीं पाता था।
नेपोलियन के बुलंद होसलों की कहानी- a motivational story
नेपोलियन अक्सर जोखिम (risky) भरे काम किया करते थे। एक बार उन्होने आलपास पर्वत को पार करने का ऐलान किया और अपनी सेना के साथ चल पढे। सामने एक विशाल और गगनचुम्बी पहाड़ खड़ा था जिसपर चढ़ाई करने असंभव था। उसकी सेना मे अचानक हलचल की स्थिति पैदा हो गई। फिर भी उसने अपनी सेना को चढ़ाई का आदेश दिया। पास मे ही एक बुजुर्ग औरत खड़ी थी। उसने जैसे ही यह सुना वो उसके पास आकर बोले की क्यो मरना चाहते हो। यहा जितने भी लोग आये है वो मुह की खाकर यही रहे गये। अगर अपनी ज़िंदगी से प्यार है तो वापिस चले जाओ। उस औरत की यह बात सुनकर नेपोलियन नाराज़ होने की बजाये प्रेरित हो गया और झट से हीरो का हार उतारकर उस बुजुर्ग महिला को पहना दिया और फिर बोले; आपने मेरा उत्साह दोगुना कर दिया और मुझे प्रेरित किया है। लेकिन अगर मै जिंदा बचा तो आप मेरी जय-जयकार करना। उस औरत ने नेपोलियन की बात सुनकर कहा- तुम पहले इंसान हो जो मेरी बात सुनकर हताश और निराश नहीं हुए। ‘ जो करने या मरने ‘ और मुसीबतों का सामना करने का इरादा रखते है, वह लोग कभी नही हारते।
आज सचिन तेंदुलकर (sachin tendulkar) को इसलिए क्रिकेट (cricket) का भगवान कहा जाता है क्योकि उन्होने जरूरत के समय ही अपना शानदार खेल दिखाया और भारतीय टीम को मुसीबतों से उभारा। ऐसा नहीं है कि यह मुसीबते हम जैसे लोगो के सामने ही आती है, भगवान राम के सामने भी मुसीबते आयी है। विवाह के बाद, वनवास की मुसीबत। उन्होने सभी मुसीबतों का सामना आदर्श तरीके से किया। तभी वो मर्यादा पुरषोतम कहलाये जाते है। मुसीबते ही हमें आदर्श बनाती है।

अंत मे एक बात हमेशा याद रखिये;
जिंदगी में मुसीबते चाय के कप में जमी मलाई की तरह है,
और कामयाब वो लोग हैं जिन्हेप फूँक मार के मलाई को साइड कर चाय पीना आता है
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सोमवार, 17 अक्तूबर 2016

Indian Politics and Politicians

Indian Politics refers to the activities of the political parties associated with the governance and administration of India at every level, viz. national, state, district and panchayat level.
A Politician is person who is professionally involved in politics. Usually, he has good influence over the general people.
It is often said that politics is the art and technique of government. Every idea has an intention, similarly political idea also has the intention for implementation, but many people see this with negative mindset. It includes the activities to stay in power or to influence the government policies. It also includes the law-making policies and procedure.

Introduction to Indian Politics

Mahatma Gandhi stated about the place of ethics in politics. He told that politics without ethics and principles were not desirable. The principles are the moral principles. According to his philosophy political, life should be governed by truth, morality and self-purification. Gandhiji’s politics were bound up with truth and non-violence. He also prescribed that country should concern with the morals of her leaders. Devotion to truth was drawn by him to half corruption. He had no intention to indulge the religious matter. He interpreted that religious matter is a death-trap because it kills the soul.
He also expressed that “For me there is no politics without religion, not the religion of the superstitions or the blind religion that hates and fights, but the universal religion of toleration”.

Roles and responsibilities of Politicians

The role of the Politicians is to deal with national issues and drive the country in full gear. They should aim at improving the economic, financial, military strength of the country.
Economic development of all the sections of the society should be the aim of politicians. They should come forward in support of public-welfare schemes such as food for all, house for all, education for all, etc.
It is the duty of the Politicians to check corruption, nepotism, crisis in politics and ethnic problems. They should work to bring communal harmony.
They should exercise wisdom in every work of national politics. They should practice ethical culture. The political parties should try to build confidence of political wisdom by their good work.
People expect good qualities in a politician. They expect them to be trustworthy.
They should come forward to check and stop unlawful activities.

Disappointment

People go to vote but they have unpopular leaders of popular parties. Only symbols are elected not politicians. This scenario shows that, often, people are being disappointed by our political leaders. They may devalue the public-moral and erode the very essence of democracy.
Money also plays a dominant role in the Indian politics, especially during election. Vote is purchased by the party men. Ambitions, influential people impact on every country’s political set up.

Conclusion

Finally, it can be admitted to all that politicians should be free from vitiated politics.
They should have a constructive view in respect of welfare of mass.
They would always try to eradicate the corruption from the national life by root and branch and at the same time they can reach to their honest goal by hearkening to the inconveniences of the public.

Sangam Sarvesh Mishra