सोमवार, 7 नवंबर 2016

भोपाल सेंट्रल जेल का सच क्या है. अभी तक कुछ नहीं कहा जा सकता. लेकिन इतना साफ़ होता जा रहा है कि SIMI से जुड़े लोगों को भागने या भगाने में जरूर जेल में कोई मदद कर रहा था. जांच में ताले की नकली चाबी, नाली के पास चाकू और सीसीटीवी कैमरे का बंद मिलना, इस बात की गवाही हैं कि उन्हें जरूर मदद दी गई, तभी वो जेल तोड़कर भाग सके. इन तथ्यों पर ही सीनियर अफसर का शक गहरा गया है

अफसरों को शक है कि सिर्फ बदइंतज़ामी ही कैदियों के भागने की वजह नहीं है, बल्कि कोई तो था जो अंदरूनी मदद पहुंचा रहा था. एक सीनियर अफसर ने नाम न बताए जाने की शर्त पर इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जिस हद तक कैदियों की मदद की गई, वह हैरान कर देने वाली है.
मध्य प्रदेश के होम मिनिस्टर भूपेंद्र सिंह ने बताया कि अंदर की मिलीभगत के बिना ऐसा संभव ही नहीं हो सकता. जेल से भागने के लिए बाहर से फंडिंग भी की गई होगी. इसके लिए कम से कम दो या तीन महीने से प्लानिंग की जा रही होगी, क्योंकि डुप्लीकेट चाबी बनाने में इतना वक्त लग जाता है.
सीनियर अफसर ने बताया, जेल में करीब 50 सीसीटीवी कैमरा हैं, जिनमें से अधिकतर काम करते हैं. लेकिन ब्लॉक बी, जिसमें सिमी के संदिग्ध आतंकी थे. वहीं के तीनों सीसीटीवी का बंद हो जाना महज इत्तेफाक बिलकुल नहीं लगता. इन्हें जरूर बंद किया गया होगा. उन्होंने कहा कि इन तीनों ही कैमरे में सात दिन की मैमोरी खाली थी, जिसका सीधा सा मतलब है कि इन्हें लंबे समय से बंद किया हुआ था.
अफसर का कहना है कि सिमी मेंबर्स की लंबी प्लानिंग का ही नतीजा है कि टूथब्रश से उन्होंने हर ताले की चाबी तक बना ली थी. और ब्रश को चाबी के रूप में ढालने के लिए उन्हें किसी बाहर के शख्स ने चाबियों का ढांचा दिया होगा.
31 अक्टूबर को आठ अंडरट्रायल कैदी भोपाल की सेंट्रल जेल से भागे थे. पुलिस के मुताबिक कैदियों ने एक सिक्योरिटी गार्ड का मर्डर किया था. पुलिस का कहना था कि स्टील की प्लेट को पैना करके उन लोगों ने गार्ड मार डाला था. और फिर बेडशीट की मदद से जेल की दीवार कूदकर भाग गए थे. उन सभी लोगों पर मर्डर, देशद्रोह और दंगे करवाने के इल्जाम थे.
एक दूसरे अफसर ने बताया कि पिछले सोमवार सुबह हुई वारदात के बाद स्टेट गवर्नमेंट के कुछ सीनियर अफसर जेल पहुंचे थे. वहां उन्हें नाली के पास पड़ा हुआ एक चाकू मिला था. जो चाकू मिला, वो काफी बड़ा था. जो किसी भी कैदी को अंदर नहीं ले जाने दिया जाता है. रेगुलर चेकिंग होती है. बेडशीट को रस्सी की तरह बनाया गया और वो 50 फीट लंबी थी, जबकि जेल की दीवार 35 फीट ऊंची है. जेल से भागने के लिए उनके पास काफी सामान था. और काफी तैयारी की गई होगी.

आबिद मिर्जा से एटीएस को मिले अहम सबूत

साल 2013 में खंडवा जेल से भागने वालों में आबिद मिर्ज़ा भी शामिल था. वो बम कांड का आरोपी था. जेल ब्रेक से दो दिन पहले ही यानी 29 अक्टूबर को सेंट्रल जेल से छूटा था. एटीएस ने उससे 12 घंटे पूछताछ की. दैनिक भास्कर के मुताबिक आबिद मिर्ज़ा ने एटीएस को अहम जानकारियां दी. उसने बताया जेल से भागने से पहले एक नक्शा भी बनाया गया था. जिस पर पूरा प्लान तैयार किया गया कि किस तरह से बाहर निकलना है. सूत्रों के मुताबिक इस पर उन्होंने पेन और पेंसिल से उर्दू में लिखा था कि हम दीपावली पर घर आ रहे हैं. इस नक्शे पर बाकायदा पूरी जानकारी थी कि कहां-कहां से निकलेंगे और किस दीवार से बाहर जाएंगे. पुलिस को जेल से इस बारे में कागजात और नक्शा भी मिला है. जेल से भागने के लिए अलग-अलग 17 चाबियां बनाई गईं थीं.

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