सोमवार, 7 नवंबर 2016

नगर निगम की मीटिंग में पॉर्न देख रहे थे अफसर साब!


मानते हैं कि ये पान और पॉर्न के शौकीनों का देश है. लेकिन ये क्या कि जहां मन किया, वहीं चालू हो गए. भोपाल में नगर निगम की मीटिंग थी. रेवेन्यू बढ़ाने के तरीके पर चर्चा हो रही थी. एक अफसर को चर्चा बोरिंग लगी होगी, उन्होंने निकाला मोबाइल और पॉर्न देखने लगे.
कैमरे का जमाना है आजकल. तो जनाब पॉर्न देखते हुए कैमरे में कैद हो गए. वीडियो मार्केट में आ गया तो भोपाल प्रशासन की फूंक सरक गई. बंदे का नाम अनिल शर्मा है. जोन-10 के जोनल ऑफिसर हैं जनाब. उन्हें नोटिस भेजकर सस्पेंड कर दिया गया है.
ये मीटिंग 18 जनवरी को हुई थी. मीटिंग की कार्यवाही की रिकॉर्डिंग देखने के बाद ये हरकत पकड़ में आई. मामले की जांच के आदेश भी दिए गए हैं. लेकिन शर्मा जी का कहना है कि वो मोबाइल पर पॉर्न थोड़े ना देख रहे थे. उनके फोन पर अचानक एक विज्ञापन आ गया था. लेकिन मोबाइल नया था. तो उसे बंद करना उन्हें नहीं आया.
खांसी आ गई ना आपको. मेरे कू भी आई थी. वो कह रहे हैं कि जिस वक्त वह विज्ञापन बंद करने की कोशिश कर रहे थे, उसी वक्त उनकी रिकॉर्डिंग कर ली गई. इससे ‘गल्त’ मैसेज गया है जी.
बैड टाइमिंग थी और क्या. वैसे ये फर्स्ट टाइम नहीं हुआ है. कर्नाटक असेंबली में बीजेपी सरकार के दो मंत्री 2012 में साथ-साथ पॉर्न देखते पकड़े गए थे. बीजापुर जिले में पाकिस्तान का झंडा फहरा दिया था किसी ने. इसी पर असेंबली में चर्चा चल रही थी. लेकिन दोनों मंत्रियों को कद्दू इससे मतलब था. वुमन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट मिनिस्टर सीसी पाटिल और को-ऑपरेशन मिनिस्टर लक्ष्मण सावदी अपना पॉर्न प्रेम दिखाते कैमरे में पकड़ा गए थे. 
                                           बड़ी बेइज्जती हुई थी भाई
 
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भोपाल सेंट्रल जेल का सच क्या है. अभी तक कुछ नहीं कहा जा सकता. लेकिन इतना साफ़ होता जा रहा है कि SIMI से जुड़े लोगों को भागने या भगाने में जरूर जेल में कोई मदद कर रहा था. जांच में ताले की नकली चाबी, नाली के पास चाकू और सीसीटीवी कैमरे का बंद मिलना, इस बात की गवाही हैं कि उन्हें जरूर मदद दी गई, तभी वो जेल तोड़कर भाग सके. इन तथ्यों पर ही सीनियर अफसर का शक गहरा गया है

अफसरों को शक है कि सिर्फ बदइंतज़ामी ही कैदियों के भागने की वजह नहीं है, बल्कि कोई तो था जो अंदरूनी मदद पहुंचा रहा था. एक सीनियर अफसर ने नाम न बताए जाने की शर्त पर इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जिस हद तक कैदियों की मदद की गई, वह हैरान कर देने वाली है.
मध्य प्रदेश के होम मिनिस्टर भूपेंद्र सिंह ने बताया कि अंदर की मिलीभगत के बिना ऐसा संभव ही नहीं हो सकता. जेल से भागने के लिए बाहर से फंडिंग भी की गई होगी. इसके लिए कम से कम दो या तीन महीने से प्लानिंग की जा रही होगी, क्योंकि डुप्लीकेट चाबी बनाने में इतना वक्त लग जाता है.
सीनियर अफसर ने बताया, जेल में करीब 50 सीसीटीवी कैमरा हैं, जिनमें से अधिकतर काम करते हैं. लेकिन ब्लॉक बी, जिसमें सिमी के संदिग्ध आतंकी थे. वहीं के तीनों सीसीटीवी का बंद हो जाना महज इत्तेफाक बिलकुल नहीं लगता. इन्हें जरूर बंद किया गया होगा. उन्होंने कहा कि इन तीनों ही कैमरे में सात दिन की मैमोरी खाली थी, जिसका सीधा सा मतलब है कि इन्हें लंबे समय से बंद किया हुआ था.
अफसर का कहना है कि सिमी मेंबर्स की लंबी प्लानिंग का ही नतीजा है कि टूथब्रश से उन्होंने हर ताले की चाबी तक बना ली थी. और ब्रश को चाबी के रूप में ढालने के लिए उन्हें किसी बाहर के शख्स ने चाबियों का ढांचा दिया होगा.
31 अक्टूबर को आठ अंडरट्रायल कैदी भोपाल की सेंट्रल जेल से भागे थे. पुलिस के मुताबिक कैदियों ने एक सिक्योरिटी गार्ड का मर्डर किया था. पुलिस का कहना था कि स्टील की प्लेट को पैना करके उन लोगों ने गार्ड मार डाला था. और फिर बेडशीट की मदद से जेल की दीवार कूदकर भाग गए थे. उन सभी लोगों पर मर्डर, देशद्रोह और दंगे करवाने के इल्जाम थे.
एक दूसरे अफसर ने बताया कि पिछले सोमवार सुबह हुई वारदात के बाद स्टेट गवर्नमेंट के कुछ सीनियर अफसर जेल पहुंचे थे. वहां उन्हें नाली के पास पड़ा हुआ एक चाकू मिला था. जो चाकू मिला, वो काफी बड़ा था. जो किसी भी कैदी को अंदर नहीं ले जाने दिया जाता है. रेगुलर चेकिंग होती है. बेडशीट को रस्सी की तरह बनाया गया और वो 50 फीट लंबी थी, जबकि जेल की दीवार 35 फीट ऊंची है. जेल से भागने के लिए उनके पास काफी सामान था. और काफी तैयारी की गई होगी.

आबिद मिर्जा से एटीएस को मिले अहम सबूत

साल 2013 में खंडवा जेल से भागने वालों में आबिद मिर्ज़ा भी शामिल था. वो बम कांड का आरोपी था. जेल ब्रेक से दो दिन पहले ही यानी 29 अक्टूबर को सेंट्रल जेल से छूटा था. एटीएस ने उससे 12 घंटे पूछताछ की. दैनिक भास्कर के मुताबिक आबिद मिर्ज़ा ने एटीएस को अहम जानकारियां दी. उसने बताया जेल से भागने से पहले एक नक्शा भी बनाया गया था. जिस पर पूरा प्लान तैयार किया गया कि किस तरह से बाहर निकलना है. सूत्रों के मुताबिक इस पर उन्होंने पेन और पेंसिल से उर्दू में लिखा था कि हम दीपावली पर घर आ रहे हैं. इस नक्शे पर बाकायदा पूरी जानकारी थी कि कहां-कहां से निकलेंगे और किस दीवार से बाहर जाएंगे. पुलिस को जेल से इस बारे में कागजात और नक्शा भी मिला है. जेल से भागने के लिए अलग-अलग 17 चाबियां बनाई गईं थीं.

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रविवार, 6 नवंबर 2016

बुलंद होसलों


मुसीबते हमारी ज़िंदगी की एक सच्चाई है। कोई इस बात को समझ लेता है तो कोई पूरी ज़िंदगी इसका रोना रोता है। ज़िंदगी के हर मोड़ पर हमारा सामना मुसीबतों(problems) से होता है. इसके बिना ज़िंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती।
अक्सर हमारे सामने मुसीबते आती है तो तो हम उनके सामने पस्त हो जाते है। उस समय हमे कुछ समझ नहीं आता की क्या सही है और क्या गलत। हर व्यक्ति का परिस्थितियो को देखने का नज़रिया अलग अलग होता है। कई बार हमारी ज़िंदगी मे मुसीबतों का पहाड़ टूट पढ़ता है। उस कठिन समय मे कुछ लोग टूट जाते है तो कुछ संभाल जाते है।
मनोविज्ञान के अनुसार इंसान किसी भी problem को दो तरीको से देखता है;
1 problem पर focus करके(problem focus peoples)
2 solution पर focus करके(solution focus peoples)
Problem focus peoples अक्सर मुसीबतों मे ढेर हो जाते है। इस तरीके के इंसान किसी भी मुसीबत मे उसके हल के बजाये उस मुसीबत के बारे मे ज्यादा सोचते है। वही दूसरी ओर solution focus peoples मुसीबतों मे उसके हल के बारे मे ज्यादा सोचते है। इस तरह के इंसान मुसीबतों का डट के सामना करते है।

दोस्तो आज मै आपके साथ एक महान solution focus इंसान की कहानी शेयर करने जा रहा हु जो आपको किसी भी मुसीबत से लड़ने के लिए प्रोत्साहित (motivate) करेगी। दोस्तो आपने नेपोलियन बोनापार्ट (napoleon Bonaparte) का नाम तो सुना ही होगा। जी हा वही नापोलियन बोनापार्ट जो फ़्रांस के एक महान निडर और साहसी शासक थे जिनके जीवन मे असंभव नाम का कोई शब्द नहीं था। इतिहास में नेपोलियन को विश्व के सबसे महान और अजय सेनापतियों में से एक गिना जाता है। वह इतिहास के सबसे महान विजेताओं में से माने जाते थे । उसके सामने कोई रुक नहीं पाता था।
नेपोलियन के बुलंद होसलों की कहानी- a motivational story
नेपोलियन अक्सर जोखिम (risky) भरे काम किया करते थे। एक बार उन्होने आलपास पर्वत को पार करने का ऐलान किया और अपनी सेना के साथ चल पढे। सामने एक विशाल और गगनचुम्बी पहाड़ खड़ा था जिसपर चढ़ाई करने असंभव था। उसकी सेना मे अचानक हलचल की स्थिति पैदा हो गई। फिर भी उसने अपनी सेना को चढ़ाई का आदेश दिया। पास मे ही एक बुजुर्ग औरत खड़ी थी। उसने जैसे ही यह सुना वो उसके पास आकर बोले की क्यो मरना चाहते हो। यहा जितने भी लोग आये है वो मुह की खाकर यही रहे गये। अगर अपनी ज़िंदगी से प्यार है तो वापिस चले जाओ। उस औरत की यह बात सुनकर नेपोलियन नाराज़ होने की बजाये प्रेरित हो गया और झट से हीरो का हार उतारकर उस बुजुर्ग महिला को पहना दिया और फिर बोले; आपने मेरा उत्साह दोगुना कर दिया और मुझे प्रेरित किया है। लेकिन अगर मै जिंदा बचा तो आप मेरी जय-जयकार करना। उस औरत ने नेपोलियन की बात सुनकर कहा- तुम पहले इंसान हो जो मेरी बात सुनकर हताश और निराश नहीं हुए। ‘ जो करने या मरने ‘ और मुसीबतों का सामना करने का इरादा रखते है, वह लोग कभी नही हारते।
आज सचिन तेंदुलकर (sachin tendulkar) को इसलिए क्रिकेट (cricket) का भगवान कहा जाता है क्योकि उन्होने जरूरत के समय ही अपना शानदार खेल दिखाया और भारतीय टीम को मुसीबतों से उभारा। ऐसा नहीं है कि यह मुसीबते हम जैसे लोगो के सामने ही आती है, भगवान राम के सामने भी मुसीबते आयी है। विवाह के बाद, वनवास की मुसीबत। उन्होने सभी मुसीबतों का सामना आदर्श तरीके से किया। तभी वो मर्यादा पुरषोतम कहलाये जाते है। मुसीबते ही हमें आदर्श बनाती है।

अंत मे एक बात हमेशा याद रखिये;
जिंदगी में मुसीबते चाय के कप में जमी मलाई की तरह है,
और कामयाब वो लोग हैं जिन्हेप फूँक मार के मलाई को साइड कर चाय पीना आता है
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