मंगलवार, 30 मई 2017

तस्वीर

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मारा समाज भिखारियों को हिकारत की नजर से देखता है। शायद ही कोई इंसान भिखारियों की भावनाओं पर अपना एक मिनट भी खर्च करना चाहें। फटॉग्रफर #GMB_Akash की एक तस्वीर ने इस सोच को जैसे बदलकर रख दिया है। एक भिखारी और उसकी बेटी की जिंदगी के एक बेहद भावुक पल को कैद करने वाली उनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। इस तस्वीर की अहमियत को समझने के लिए आपको इसके पीछे की कहानी जाननी होगी। हुआ यूं कि एक हादसे में कौसर हुसैन ने अपना दाहिना हाथ गंवा दिया। खुद का और परिवार का पेट पालने के लिए अब उनके पास कोई रोजगार नहीं बचा था, लिहाजा मजबूरी में वह भीख मांगने लगे। फिर एक दिन वह अपनी बेटी के लिए एक ड्रेस खरीदने दुकान पर गए, तो दुकानदार ने उन्हें लताड़ दिया। अपने पिता को इस तरह अपमानित होता देख हुसैन की बेटी की आंखें भीग गईं। उसने कहा कि अब उसे कोई ड्रेस नहीं चाहिए।इस घटना के 2 साल बाद हुसैन ने अपनी बेटी के लिए एक खूबसूरत पीले रंग की फ्रॉक खरीदी। नई फ्रॉक देख कर उनकी बेटी बहुत खुश हुई और उस पल को फटॉग्रफर जीएमबी आकाश ने अपने कैमरे में कैद कर लिया।

हुसैन की आपबीती:कल मैं अपनी बेटी के लिए 2 साल बाद एक नई ड्रेस खरीद सका। 2 साल पहले मैंने जब दुकानदार को 5 रुपए के 60 नोट दिए थे, तब मुझ पर चिल्लाते हुए उसने पूछा था कि क्या मैं एक भिखारी हूं? मेरी बेटी ने मेरा हाथ पकड़ा और रोते हुए दुकान से बाहर चलने को कहा। मेरे अपमान से दुखी होकर उसने कहा कि उसे कोई ड्रेस नहीं खरीदनी है। मैंने एक हाथ से उसके आंसू पोछे।हां, मैं एक भिखारी हूं। आज से 10 साल पहले मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन लोगों से भीख मांगकर मुझे गुजारा करना होगा। मैं नाइट कोच पुल से गिर गया था और मरते-मरते बचा। मैं जिंदा तो बच गया, लेकिन विकलांग हो गया। मेरा छोटा बेटा मुझसे अक्सर पूछता है कि मेरा दूसरा हाथ कहां चला गया। मेरी बेटी सौम्या रोज मुझे खाना खिलाते हुए कहती है कि मैं जानती हूं कि एक हाथ से सारे काम करना कितना मुश्किल है।
2 साल बाद मेरी बेटी ने एक नई ड्रेस पहनी है, इसलिए आज मैं उसे कुछ देर के लिए अपने साथ बाहर खेलने के लिए ले आया। हो सकता है कि मुझे आज एक भी पैसा न मिले, लेकिन मैं अपनी बच्ची के साथ समय गुजारना चाहता था। मैंने पत्नी को बताए बिना अपने पड़ोसी से फोन उधार लिया। मेरी बेटी के पास कोई तस्वीर नहीं है और मैं चाहता हूं कि यह दिन उसके लिए यादगार बने। जिस दिन मेरे पास एक फोन होगा, मैं अपने बच्चों की खूब सारी तस्वीरें लूंगा। मैं अच्छी यादें बचाकर रखना चाहता हूं। बच्चों को स्कूल भेजना मेरे लिए बहुत मुश्किल है, फिर भी मैं उन्हें पढ़ा रहा हूं। कभी-कभी वे परीक्षा नहीं दे पाते क्योंकि उनके लिए फीस जमा करना मेरे लिए हमेशा संभव नहीं हो पाता। ऐसे समय में मेरे बच्चे बहुत उदास हो जाते हैं और मैं उनकी हिम्मत बढ़ाते हुए कहता हूं कि कभी-कभी हम परीक्षा देना छोड़ सकते हैं क्योंकि जिंदगी हर दिन हमारी सबसे बड़ी परीक्षा ले रही होती है।
अब मैं भीख मांगने जाऊंगा। मैं अपनी बेटी को ट्रैफिक सिग्नल पर साथ ले जाऊंगा, जहां वह मेरा इंतजार करेगी। मैं भीख मांगते हुए कुछ दूरी से उसे देखूंगा। मुझे उस समय बड़ी शर्म महसूस करता हूं जब वह मुझे लोगों के सामने अपना एक हाथ फैलाते हुए देखती है। चूंकि सड़क पर बड़ी-बड़ी गाड़ियां होती हैं, इसीलिए वह मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ती। वह सोचती है कि दुर्घटना फिर से हो सकती है। उसे लगता है कि ये गाड़ियां मुझे कुचलते हुए मेरे ऊपर से निकल जाएंगी और मैं मर जाऊंगा।
जब भी मैं थोड़ा पैसा जमा कर लेता हूं, अपनी बेटी का हाथ पकड़कर घर वापस लौट जाता हूं। हम अपने तरीके से खरीदारी करते हैं और मेरी बेटी हमेशा थैला उठाती है। जब बारिश होती है, तो हमें साथ भीगना अच्छा लगता है। हमें अपने सपनों के बारे में बातें करना अच्छा लगता है। जिस दिन मुझे पैसा नहीं मिलता, उस दिन हम खामोशी के साथ घर आ जाते हैं। ऐसे वक्त में मेरा दिल करता हूं कि मर जाऊं, लेकिन रात को जब मेरे बच्चे मुझसे लिपटकर सो जाते हैं तो मुझे लगता है कि जिंदा रहना इतना बुरा भी नहीं है। ज्यादा बुरा तब लगता है जब मेरी बेटी सिग्नल पर सिर नीचे करके मेरा इंतजार करती है। भीख मांगते समय मैं उससे नजरें नहीं मिला सकता। आज का दिन कुछ अलग, आज मेरी बेटी बहुत खुश है। आज यह बाप केवल एक भिखारी नहीं है। आज मैं उसका बाप एक राजा हूं और वह मेरी राजकुमारी है।’😞😞😞😞

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