सोमवार, 10 अप्रैल 2017



योगी इफेक्ट: राइट टाइम हुए अफसर, नहीं मिल रही पार्किंग


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नवाबों के शहर में अब अफसरों ने अपनी नवाबी छोड़नी शुरू कर दी है। सूबे की राजधानी लखनऊ में वर्क कल्चर में सुधार होता दिखाई दे रहा है। यहां के नौकरशाह पान-गुटका चबाने की जगह चूइंग गम और टॉफी खाने लगे हैं, समय पर ऑफिस पहुंच रहे हैं। आलम यह है कि बुधवार को सचिवालय के बाहर कार पार्किंग की जगह ही नहीं थी।

सचिवालय के गेट नंबर 7 पर तैनात गार्ड ने बताया, 'फुल अटेंडेंस है साहेब, बाबू लोग काम चालू कर दिए हैं... इसलिए पार्किंग फुल है।' अब से 10 पहले तक ऐसा नहीं था। गार्ड ने कहा, 'पहले साहेब लंच के बाद आते थे और कहते थे... चलो चाय पीकर आते हैं।'

बुधवार को एक चपरासी ने जैसे ही जेब से पान मसाला का पाउच निकाला, एक नौकरशाह ने उसे याद दिलाया कि सरकारी दफ्तरों में तंबाकू का सेवन मना है। उसने झट से पाउच जेब में वापस रख लिया। विधान भवन में तैनात एक अन्य चपरासी ने कहा, 'गुटका और पान मसाला पसंद करने वाले अब चूइंग गम और टॉफी खा रहे हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि वे इनके रैपर इधर-उधर नहीं फेंक रहे, उसे जेब में रख ले रहे हैं।'

राज्य के वन विभाग ने अपने कॉरिडोर में पोस्टर लगा रखे हैं, जिसमें लिखा है, 'आप कैमरे की नजर में हैं, गुटका खाने पर 1000 रुपये जुर्माना ललेगा'। रोजाना 18-20 घंटे काम के लिए तैयार रहने को लेकर सीएम की अपील के बाद से अटेंडेंस में सुधार आया है। बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम से मदद मिल रही है।

जल संसाधन राज्य मंत्री उपेंद्र तिवारी कहते हैं, 'मैं सबसे पहले यही देखता हूं कि मेरा कमरा ढंग से साफ किया गया है या नहीं।' वह 9:30 बजे से पहले ऑफिस करना सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने अपने स्टाफ को साफ निर्देश दिए हुए हैं कि फाइलें क्रम में रखी जाएं और उनपर धूल ना इकट्ठा होने दी जाए।

ट्रांसपॉर्ट मिनिस्टर स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि स्वच्छता के मामले में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने ट्रांसपॉर्ट कमिश्नर ऑफिस के दरवाजे को साफ कर पहले दिन स्वच्छता मुहिम की शुरुआत की थी।

सूर्य प्रताप शाही, धर्मपाल सिंह और सुरेश खन्ना जैसे वरिष्ठ नेता भी सीएम के ऑर्ड का अनुसरण कर रहे हैं और समय पर दफ्तर पहुंच रहे हैं, वातावरण स्वच्छ रखा जा रहा है।

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