सोमवार, 10 अप्रैल 2017

चुनाव प्रचार..!!


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चुनावो का मौसम तो भारत में हर समय बना ही रहता हैं..
जैसे अभी 5 राज्यो के विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद..दिल्ली नगर निगम के चुनाव आ गए..
हर चुनाव की सबसे खास बात होती हैं.
.नेताओं और अलग अलग पार्टियों का चुनाव प्रचार..
जैसे..कोई छोटी पार्टी हैं..तो उसके नुमाइंदे कभी कभी आपको दबी आवाज़ में खुद को वोट देने के लिये घूमते मिलेंगे..
तो अगर कोई निर्दलीय होगा..तो वो शायद ही आपको अपने इलाके या गाली मोहल्ले से बाहर प्रचार करता हुआ दिखाई देगा..
अब बारी आती हैं..बड़ी पार्टियों की..या फिर उन नेताओ की जो थोड़ा बहुत जन आधार रखते हैं..
ऐसे नेता..जो किसी पार्टी से सम्बंध नहीं रखते..या फिर जिन्होने कोशिश तो की..लेकिन किसी पार्टी से टिकट लेने में नाकाम रहें..!!
ऐसे क्षेत्रीय नेताओ को सबसे ज्यादा चुनौती खुद से ही होती हैं..क्योंकि इन्हें ही अपनी “सामाजिक इज्जत” को बचाना हैं..
क्योंकि..कोई अपने इलाके में नेताजी बना फिरता हैं..तो कोई प्रधान साहब… अब इन सभी को अपनी इज्जत या धोंस बनाएँ रखने के लिये चुनाव जीतना जरूरी हो जाता हैं..
कुछ बड़ी पार्टियाँ से सम्बंध रखने वाले नेता..
जो की वर्तमान में पार्षद ( या विधायक या जो भी) बने होते हैं..
उन्हें उनकी पार्टी जब टिकट नहीं देती तो उनमे से कोई विरोधी पार्टी से सेटिंग ना हो पाने की सूरत में निर्दलीय ही चुनाव में कूद पड़ता हैं..
क्योंकि ऐसे नेताओ को पार्टी उनके 5 साल के कार्यकाल के बाद जिताऊ नहीं समझती..
ऐसे नेताओ के बारे में मेरा मनना हैं की इन्होने कभी भी अपने कार्यकाल में अपने घर से बाहर झांक कर भी नहीं देखा.. ऐसे नेता अपने VISITING CARD पे पार्षद / विधायक / सांसद लिखवा कर अपने कर्तव्य को पूर्ण समझती हैं..
मेरा मानना हैं की ऐसे नेताओं का चुनाव प्रचार सबसे अछा होता हैं..क्योंकि इन्होने चिल्ला चिल्ला कर झूठ बोला होता हैं..
जैसे मेरे ही क्षेत्र के वर्तमान पार्षद..जो मेरे पड़ोसी भी हैं..कभी भी घर से बाहर निकल कर भी नहीं देखा..और इनका चुनाव प्रचार कहता हैं..
” अपने क्षेत्र में विकास की गंगा आगे भी बहाये रखने के लिये..लोगो ने इन्हे दोबारा चुनाव मैदान में उतरा हैं…” यही भाईसाहब 1 महीने पहले तक किसी पार्टी के पार्षद ते..आज टिकट ना मिलने की व्जह से निर्दलीय ही हैं..
खैर..ऐसे नेताओ से ज़रा बचके रहिये…क्योंकि आज समय बदल रहा हैं…आज जनता चहरे पर या पार्टी पर कम…काम पर ज्यादा वोट देती हैं..
अबकी बार वोट सोच समझ कर दीजियेगा.
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