खुद को फिर खड़ा करने में जुटी BSP, बीजेपी को बताएगी पिछड़ा-ब्राह्मण विरोधी
पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद बीएसपी ने अब नए सिरे से खुद को खड़ा करने की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी में बगावत की सुगबुगाहट के बीच इसके लिए मायावती ने एक खास 'प्लान' तैयार किया है। इसके तहत बीजेपी को ऐंटी ओबीसी और ऐंटी ब्राह्मण के तौर पर दिखाने की कोशिश की जाएगी। बीएसपी को लगता है कि ऐसा कर के वह एक बार फिर से उन समुदायों का भरोसा जीत सकती है जिन्होंने पिछले दो चुनावों में उसका साथ छोड़ दिया।
बीएसपी लोगों के बीच जाने की शुरुआत अगले सप्ताह से ही करने जा रही है। पार्टी लोगों के बीच जाकर सबसे पहला सवाल बीजेपी द्वारा योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर उठाएगी। पार्टी की दलील यह होगी कि बीजेपी ने केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पिछड़ों को आकर्षित किया, उनके वोट हासिल कर लिए लेकिन जब मुख्यमंत्री बनाने की बारी आई तो मौर्य की अनदेखी कर हिंदुत्व की पहचान रखने वाले सवर्ण ठाकुर को मुख्यमंत्री बना दिया।
बीसएपी का कहना है, 'ऐसा कर के बीजेपी ने अपनी पिछड़ा विरोधी मानसिकता को फिर उजागर कर दिया। बीजेपी ने आदित्यनाथ को सीएम और मौर्य को उपमुख्यमंत्री बनाकर 'पिछड़ों' को अपमानित किया है।' बीजेपी को 'पिछड़ा विरोधी' बताने के लिए के लिए बीएसपी लोगों को यह भी बताएगी कि किस तरह बीजेपी ने मंडल कमीशन की सिफारिशों का विरोध किया था और पिछड़ों को मिलने वाले 27% आरक्षण को रोकने की मंशा से वीपी सिंह सरकार को गिरा दिया था।
इसके अलावा बीएसपी कल्याण सिंह का भी जिक्र करेगी। वह लोगों को बताएगी कि किस तरह बीजेपी ने आरएसएस के हिंदुत्व के अजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पिछड़े वर्ग के नेता कल्याण सिंह का इस्तेमाल कर सत्ता हासिल की और बाद में उनकी सरकार को गिरवा भी दिया। बीएसपी का कहना है कि बीजेपी ने हमेशा से ही पिछडों को धोखा दिया है और उसे उम्मीद है कि पिछड़े वर्ग के मतदाता भविष्य में इसे लेकर सतर्क रहेंगे।
बीएसपी सिर्फ पिछड़ों की ही बात नहीं करेगी, बल्कि यह कहकर ब्राह्मणों को भी साधने की कोशिश करेगी कि बीजेपी ने एक ठाकुर को सीएम बनाकर ब्राह्मणों की अनदेखी की है। ब्राह्मणों को साधने की पीछे बीएसपी की सोच यह है कि ऐसे वक्त में जब सभी सवर्ण जातियां बीजेपी के पक्ष में लामबंद हैं, बीएसपी ब्राह्मणों की आवाज बनकर आने वाले चुनाव में उनका समर्थन हासिल कर सकती है। माना जाता है कि 2007 के चुनाव में बीएसपी की जीत में ब्राह्मणों वोटरों का बड़ा योगदान था।
इसके अलावा ईवीएम में कथित गड़बड़ी का मुद्दा भी बीएसपी छोड़ना नहीं चाहती। पार्टी 11 अपैल से हर जिले में इसे लेकर प्रदर्शन की शुरुआत करेगी और लोगों को बताएगी कि बीजेपी की जीत के पीछे सबसे बड़ी वजह ईवीएम में की गई गड़बड़ी है। माना जा रहा है कि इसके पीछे पार्टी की मंशा 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी करना भी है क्योंकि विधानसभा चुनाव में हार के बाद कार्यकर्ताओं को मनोबल टूटा हुआ है और पार्टी के पास ज्यादा वक्त भी नहीं है।
इसके अलावा ईवीएम में कथित गड़बड़ी का मुद्दा भी बीएसपी छोड़ना नहीं चाहती। पार्टी 11 अपैल से हर जिले में इसे लेकर प्रदर्शन की शुरुआत करेगी और लोगों को बताएगी कि बीजेपी की जीत के पीछे सबसे बड़ी वजह ईवीएम में की गई गड़बड़ी है। माना जा रहा है कि इसके पीछे पार्टी की मंशा 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी करना भी है क्योंकि विधानसभा चुनाव में हार के बाद कार्यकर्ताओं को मनोबल टूटा हुआ है और पार्टी के पास ज्यादा वक्त भी नहीं है।
इन प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले पार्टी पदाधिकारियों को बीएसपी नेतृत्व ने उन तमाम मुद्दों की जानकारी दे दी है जिन्हें जनता के बीच उठाया जाना है। पार्टी का फोकस खास तौर पर पिछड़ों और अति पिछड़ों पर रहेगा क्योंकि इन वर्गों के वोट का बड़ा हिस्सा चुनाव में बीजेपी के साथ चला गया।
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